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क्या कसूर था आखिर मेरा ? भाग 12



अमित काफी खुश होता है । अपनी मां की मर्जी जान कर । थोड़ी देर बाद सब भोजन करते है । मंजू और राकेश भी भोजन करते है । चारो और खुशी का माहोल होता है ।


अंजली के पिता भी वहा आ जाते है। पिताजी दादी नही आई । अंजली पूछती है 

नही बेटा, उन्हे मेने घर पर ही खाना बना कर खिला दिया था अब वो सो रही है। तुम बहुत प्यारी लग रही हो इस साड़ी मै । नजर ना लग जाए कही किसी की दुर्जन ने कहा ।


उसके बाद अंजली ने अपने पिता को खाना खिलाया और मंजू को आशीर्वाद दे कर चले जाते है ।

खाने के बाद , पण्डित जी ने दूल्हा दुल्हन को फेरो के लिए बुलाया ।

मंजू को अंजली उसके कमरे से बाहर लाती है और अमित , राकेश को । अंजली और अमित एक दूसरे को प्यार भरी नजरो से देखते है ।

फेरो के वक्त वो दोनो एक साथ खडे हो जाते है हाथ मै फूल लेकर।

अमित , ऐसे ही हमारी शादी होगी अंजली से कहता है

अंजली , शरमाते हुए आपने तो काफी सपने देख लिए है अभी से 

अमित, क्यू ना देखू अब तो मां पिताजी को भी तुम पसंद आ गई हो

अंजली , लेकिन मैं तो उनसे मिली ही नही अंजली ने कहा 

अमित , याद करो तुमने फेरो से पहले किसी को पानी लाकर पिलाया था 

अंजली , हा याद है मुझे, वो एक औरत थी जो काफी प्यासी लग रही थी उन्होने आ कर मुझसे पानी मांगा और मेने ला दिया । तो इससे क्या होता है 

अमित, " तुम समझी नही या समझने की कोशिश नही कर रही हो "

अंजली ," क्या मतलब तुम्हरा कही वो औरत,,,"

हे! भगवान वो औरत तुम्हारी मां थी । अंजली मूह पर हाथ रखते हुए कहती है 

अमित , हा वही मेरी मां थी और अब भी देखो सामने खड़ी वो हमे ही देख रही है 

अंजली अपनी नजर दोडाती है , तो सामने ही वो औरत खड़ी हस रही होती है ।

अंजली उन्हें अपने सामने देख शर्मा कर छुप जाती है । अमित, तुमने पहले क्यू नही बताया की वो तुम्हारी मां है । कही मैं कुछ गलत कर बैठती उनके साथ तब अंजली कहती है।

उन्होंने ही मना किया था बताने से पहले वो अपनी होने वाले बहु को परखना चाह रही थी उसे बिन बताए अमित कहता है।

तो क्या हुआ परख लिया उन्होंने मुझे लेकिन उन्होंने तो मेरी कोई परीक्षा नही ली कही मैं उन्हे पसंद तो नही आई । अंजली कहती है 


अरे ऐसा नही है  , मेरी मां का परखने का अलग अंदाज है और तुम परेशान मत हो उन्होने तुम्हारी परीक्षा भी लेली और पास भी कर दिया । अब बस तुम्हारी मर्जी जानना है कि तुम क्या चाहती हो । क्या तुम चाहती हो की मैं तुम्हारे पिताजी से तुम्हारा हाथ मांगने के लिए तुम्हारे घर अपनी मां को भेजू ।

अंजली उसके मूंह से ये सब सुन खुश हो जाती है । उसके दिल की धड़कने तेज हो जाती है । वो बहुत कुछ कहना चाह रही होती है लेकिन लफ्ज़ नही मिलते । इससे पहले की वो कुछ कहती । पण्डित जी ने कहा फेरे संपन्न हुए अब मांग में सिंदूर और गले में मंगलसूत्र पहनाइए ।

ये आवाज सुन  अंजली और अमित अपनी ख्वाबों की दुनिया से निकल हकीकत में आते है ।

मंजू और राकेश , शादी के पवित्र बंधन में बंध जाते है सात जन्मों के लिए । वो बारी बारी अपने बड़ो का आशीर्वाद लेते है 

थोड़ी देर बाद मंजू की विदाई का समय हो जाता है सुबह के पांच बज गए थे ।

राकेश के पिता ने मंजू के पिता से कहा अब हमे इजाजत दीजिए ताकि हम लोग आपकी बेटी को अपनी बेटी बना कर ले जा सके ।

विदाई शुरू होती है सबकी आंखें आंसुओ से भर जाती है धीरे धीरे सबकी खुशी उदास चेहरो में बदल जाती है ।

मंजू की मां उससे गले लग कर खूब रोती और कहती" बेटा आज से तेरी नई जिंदगी शूरू हो रही हैं जैसे तू इस घर में चहकती थी और फुदकती थी भगवान करे तू अपने ससुराल में भी वैसे ही चहके बेटा अपने सास ससुर में अपने माता पिता की छवी देखना कभी उन्हें कोई शिकायत का मोका मत देना ।

उसके बाद वो अपने पिता के गले लगती और रोती उसका पिता उससे कहता है " बेटी अब तुम्हारे कंधो पर दो घर की जिम्मेदारी है इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाना बेटा कभी भी जीवन में तुम्हे हमारी जरूरत हो तो बेझिझक बता देना तुम अपने पिता को अपने साथ पाओगी । बेटा अपने ससुराल वालो का ध्यान रखना उन्हे कभी कोई शिकायत का मोका मत देना तुम एक अच्छी बेटी थी अब एक अच्छी बहू बन कर दिखाना "


मंजू अपने बहन भाई के गले लग कर रोती और कहती मां और पिता जी का ध्यान रखना तुम दोनो ओर अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान देना ये मत समझना की मैं चली गई हू तो तुम लोग आजाद हो गए हो मैं हमेशा तुम दोनो पर नजर रखती रहूंगी ।

उसके बाद मंजू अंजली के गले लगती और रोती और कहती " अंजली तू मेरी सिर्फ सहेली नही बहन  है मुझे तू बहुत याद आएगी मुझे खत लिखती रहना । अंजली भी उससे यही कहती की वो उसकी बहन थी । और वो उसे हमेशा याद करेंगी ।

जीजू मेरी दोस्त का खयाल रखना कुछ गलती हो जाए तो माफ कर देना इसको अंजली रोते हुए राकेश से कहती ।

वो रोते हुए बाहर आ जाती है । अमित भी उस के पीछे बाहर आ जाता है ।

रो मत अंजली , राकेश और उसकी फैमिली अच्छी है मंजू खुश रहेगी वहा । मैं समझ सकता हू कि तुम इस वक्त किस दुख में हो । लेकिन क्या कर सकते है ये तो जमाने की रीत है ।

अंजली को अमित की बातो से हौसला मिलता है ।
वो उसका शुक्रिया अदा करती है । अमित उससे अन्दर फेरो के वक्त पूछे गाए सवाल का जवाब मांगता है ।

अंजली उसे हा कह देती और कहती अगर पिताजी को तुम और  तुम्हारे घर वाले पसंद आयेंगे तभी मैं तुमसे शादी करूंगी वर्ना  मुझे भूल जाना क्योंकि मैं पिता जी को दुखी नही कर सकती ।

अंजली की बाते सुन अमित खुश होता है ।

तभी राकेश, अमित को आवाज देता और कहता भाई चलो विदाई हो गई घर भी जाना है ।

ये सुन अमित अंजली से विदाई लेता और कहता इतंजार करना मैं जल्द ही आऊंगा तुम्हारा हाथ मांगने तुम्हारे पिताजी नही माने तो मैं उन्हें मना लूंगा लेकिन शादी मैं तुमसे ही करूंगा ।

ये कह कर अमित वहा से चला जाता है और गाड़ी में बैठ जाता है ।

मंजू भी गाड़ी में बैठ कर अपने ससुराल रवाना हो जाती है ।

अंजली अमित को तब तक देखती रही जब तक वो औझल ना हो गया ।

अंजली उदास चेहरा लिए अपने घर आ जाती है ।




 घर आकर अंजली  अपने कमरे में मंजू को याद करके बहुत रोती है । और रोते रोते ही सो जाती है ।

अमित भी काफी थक चुका था और वो भी घर जाकर सो जाता है ।

थोड़ी देर में सूरज निकल आता है । 

राम , राम अम्मा दुर्जन अपनी अम्मा को प्रणाम करता ।
अम्मा हाथ मूंह धोलो मै अभी चाय बना कर लाता हूं । और हा अम्मा अंजली आज देर तक सोएगी नही पता सुबह कितने बजे आई थी मंजू की तरफ से ।

थोड़ी देर बाद अंजली की आंख खुल जाती है और वो भी बाहर आ जाती है ।

अरे बेटा उठ क्यू गई? दुर्जन कहता है

आंख खुल गई पिता जी फिर नींद नही आई अंजली कहती है।

कितने बजे आई थी सुबह अकेले ही आ गाई थी या किसी के साथ , दादी पूछती है

दादी काका छोड़ने आए थे काफी अंधेरा था । अंजली कहती है।

चल अच्छा अब उठ गई है तो नहा धोकर नाश्ता सब के साथ करले और मेरे साथ खेत पर चल घर में रहेगी तो मंजू की याद सताएगी । दुर्जन कहता है 


ठीक है पिताजी मैं अभी आती हूं ।

थोड़ी देर बाद सब नाश्ता करते है । मंजू कब आएगी अब दुर्जन ने पुछा ।

मुझे नही पता पिताजी , जब उसके ससुराल वाले इजाजत दे देंगे तब आ जाएगी । अंजली कहती है।

सही है अब उसका वही असली घर है उसे ज्यादा से ज्यादा वहा दिल लगाना चाहिए । दुर्जन कहता है ।

चलो अंजली खेत पर चलते है वही ढेर सारी बातें करेंगे दोनो बाप बेटी । दुर्जन कहता और अंजली को अपने साथ ले जाता ।

अंजली दोस्त के जाने के गम मै उदास थी । वो चुप था और बस अपने पिता की बाते सुन रही होती है । रास्ते भर वो खामोश रहती है।

खेत पर पहुच कर दुर्जन खेत मै हल चलाता और अंजली खेत में लगी फसल को दूर बैठ कर देखती है।

अंजली को अपना बचपन याद आ जाता है कि कैसे वे और मंजू एक साथ स्कूल के बाद खेत पर अपने अपने पिता का खाना लेकर आती थी । और नदी में पत्थर मारती और बरगद के पेड़ पर डले झूले में झूलती । उसकी आंखों से आंसू छलक आते है । 


थोड़ी देर बाद दोपहर हो जाती दुर्जन और अंजलि घर आते और खाना खा कर थोड़ा आराम करते । अंजली थोडा सो जाती है ।

उसे अमित की भी याद नही आ रही होती है ।

वही दूसरी तरफ मंजू के ससुराल वाले भी जाग जाते है । 

अमित मोका देख कर अपने माता पिता से बात करता है कि अंजली ने हां कह दी है । अब आप लोग कब जा रहे है उसका हाथ मांगने । अमित अपनी माता से कहता है ।

मैं सोच रही हूं कल चला जाए क्योंकि आज तो काफी थक गए है सब लोग क्या कहते हो । अमित की मां कहती है ।

जैसा आप को ठीक लगे मां । अमित कहता है 

मंजू की सास उसके लिए खाना लाती है । सब लोग बैठ कर खाना खाते है और हसी मजाक करते है । मंजू भी खुश होती है ।


अमित को अगले दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है । 

अमित की मां , अपनी बहन से बात करती है कि अमित को अंजली की सहेली पसंद है और मुझे भी मैं सोच रही हूं कि कल तुम्हारे साथ चल कर उसके रिश्ते की बात करते है । और अगर तुम्हे मौका मिले तो मंजू से पूछना कि अंजली कैसी लड़की है वो उसकी सहेली है उसके बारे में वो सब कुछ जानती होगी ।

ठीक है दीदी मैं बात करती हू ।

उसी शाम मंजू की सास मंजू से अंजली के बारे में पूछती कि वो कैसी लड़की है घर के काम करना जानती है बड़ो का आदर सम्मान करती है ।

मंजू उसे सब बता देती है अंजली के बारे में। उसके मुंह से अंजली की तारीफ सुन मंजू की सास खुश होती ओर अपनी बहन को आन कर बता देती ।

और अगले ही दिन वो लोग पहले मंजू के घर जाते है उसके बाद अंजली के घर ।

दरवाजे पर दस्तक होती है ।

दुर्जन दरवाजा खोलता है ।
जी नमस्ते मैं मंजू की सास और ये मेरी बहन और ये उनका बेटा अमित है । मंजू की सास कहती है 

आइए आप लोग इसे अपना ही घर समझे दुर्जन उनसे कहता है । दुर्जन समझ नही पा रहा होता है उनके घर आने का मकसद 

वो जाकर अम्मा से कहता है और अन्दर कमरे में बैठी अंजली से जाकर कहता है की मंजू की सास और उसकी बहन और भांजा आया है घर पर । 

अंजली ये सुन घबरा जाती है और खुश भी होती है । वो मेहमानो के लिए नाश्ता बनाने रसोई घर चली जाती है ।

मंजू की सास दुर्जन और उसकी मां से कहती है कि ये मेरा भांजा अमित है जो की एक सरकारी अध्यापक है और ये मेरी बहन है जो की शहर में रहते है इसके पिता थोड़ा व्यस्त थे घर के काम में इसलिए आ नही सके ।

वो बात ये थी की मेरी बहन को कल राकेश की शादी में आपकी बेटी पसंद आ गई थी । मेरे बेटे को भी आपकी बेटी पसंद है अगर आप सही समझे तो मैं आपकी बेटी का हाथ अपने बेटे अमित के लिए मांगने आई हू ।

ये बात सुन कर दुर्जन और दादी एक दूसरे को देखने लगते है । दुर्जन मना करने वाला था लेकिन तभी उसकी अम्मा बोल पड़ी । आप हमे थोड़ा समय दे दीजिए हम आप को जल्द अपना फैसला बता देंगे ।

इतने में अंजली चाय लेकर आ जाती है ।

नमस्ते! अंजली कहती और सब को चाय देती 

बहुत ही प्यारी बच्ची है काफी अच्छे संस्कार दिए है आपने लगता नही की इसकी मां नही है । मंजू की सास कहती है ।

वो अंजली को अपने पास बेठाती । अमित अंजली को चोरी चोरी देखता है और अंजली शर्माती । थोड़ी देर बाद वो लोग अंजली को पैसे देते और कहते भाई साहब आपकी बेटी मेरे बेटे की पसंद है और साथ मै मेरी भी आप जो भी फैसला करना सोच समझ कर करना ये कह कर वो चली जाती है ।






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5 Comments

Shnaya

07-Apr-2022 12:18 PM

Very nice👌

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Zakirhusain Abbas Chougule

29-Mar-2022 01:14 AM

वाह बहुत खूब

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Gunjan Kamal

29-Mar-2022 12:53 AM

शानदार भाग👌👏🙏🏻

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